हड़प्पा सभ्यता की देन | Sindhu ghati sabhyta ki den | Heritage of Indus valley civilization | सिंधु सभ्यता की 5 important देन

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Sindhu ghati sabhyta ki den : हङप्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता का समयकाल 3000 ई०पू० से 1500 ई०पू० के मध्य माना जाता है। इस प्रकार यह सभ्यता तीसरी सहस्राब्दी ई०पू० में अपने चर्मोत्कर्ष पर थी। किन्तु यह सभ्यता धीरे धीरे पतनोन्मुख हो गयी।

हड़प्पा सभ्यता की देन | Sindhu ghati sabhyta ki den

इस सभ्यता ने भारतीय संस्कृति को जन्म दिया व इसे विकास के पथ पर अग्रसर किया। इस सभ्यता में उद्भूत इसके अनेक तत्व परवर्ती कालों में अनुकरणीय रहे। यहाँ तक अगर कहें कि आज भी हम उस युग का अनुकरण कर रहे हैं तो यह किसी भी दृष्टि से गलत नहीं होगा। इस प्रकार इस सभ्यता ने भारत की परवर्ती सभ्यताओं व संस्कृतियों को पथ प्रदर्शित करने का काम किया है।

सिन्धु घाटी सभ्यता की विरासत :

हम आज इस article के अंतर्गत आपको हड़प्पा सभ्यता की देन या हङप्पा सभ्यता की विरासत को संक्षेप में समझाने का प्रयास करेंगे की कैसे एक अति प्राचीन सभ्यता हमें परवर्ती कालखंडों में न केवल मार्गदर्शन की बल्कि वह हमारी सामाजिक , आर्थिक , राजनैतिक , धार्मिक तथा सांस्कृतिक पहलुओं पर भी हमें सर्वथा अग्रसर करने का काम किया।

इस सभ्यता के अनेक पक्ष हम वर्तमान में भी देख सकते हैं। जैसे हम आज पक्की ईंटों से विशाल अति विशाल इमारतें बना रहे हैं जोकि पक्की ईंटों का प्रयोग हमें सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता में देखने को मिलता है इस प्रकार यह भी हड़प्पा सभ्यता की एक देन या विरासत है।

हड़प्पा सभ्यता की देन : Sindhu ghati sabhyta ki den

➜ भारतीय संस्कृति को सिन्धु सभ्यता के योगदान से सम्बन्धित प्रश्न के विषय में विद्वान् एक मत नहीं हैं। सिन्धु सभ्यता सन् 1921 ई० में प्रकाश में आयी। इसके पूर्व विद्वान् भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत आर्यों की वैदिक सभ्यता में ढूंढ़ने का प्रयास करते रहे, किन्तु सिन्धु सभ्यता के प्रकाश में आने के बाद विद्वानों की इस धारणा पर विराम लग गया।

सिन्धु सभ्यता भारत की आद्यैतिहासिक सभ्यता मानी जाती है। इसके पुरास्थलों से प्राप्त लिपियों को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। फिर भी, सिन्धु सभ्यता के भौतिक पुरावशेषों के विश्लेषण से विद्वानों ने मत व्यक्त किया है कि भारतीय संस्कृति सिन्धु सभ्यता की ऋणी मानी जा सकती है।

➜ प्रारम्भ में विद्वानों ने सिन्धु सभ्यता के धार्मिक पक्ष का ही भारतीय संस्कृति पर प्रभाव स्वीकार किया था, किन्तु कालान्तर में गहन अध्ययन के फलस्वरूप सिन्धु सभ्यता के भौतिक पक्ष का भी प्रभाव भारतीय संस्कृति पर माना जाने लगा।

“गॉर्डन चाइल्ड का मत है कि सैन्धव सभ्यता के विभिन्न भौतिक तत्त्वों को परवर्ती भारतीय संस्कृति में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।”

सिन्धु सभ्यता के अनेक भौतिक तत्वों, दुर्ग-विन्यास, गृह निर्माण, शिल्प, आर्थिक ढाँचा, यातायात के साधन, मृद्भाण्डों की निर्माण कला और अलंकरण अभिप्राय आदि का भारतीय संस्कृति पर स्पष्ट छाप देखी जा सकती है।

➜ भौतिक पक्ष के अलावा सिन्धु सभ्यता के आध्यात्मिक (धार्मिक) पक्ष के अनेक तत्त्व परवर्ती काल में ग्रहण किये गये। धार्मिक पक्ष के प्रमुख विधाओं-मातृदेवी की उपासना, शिव के अनेक रूपों पशुपति, योगोश्वर, नटराज आदि की उपासना, लिंग योनि पूजा, मूर्तिपूजा, प्राकृतिक शक्तियों में पशुओं, वृक्षों और जल-पूजा आदि का प्रभाव आज भी भारतीय संस्कृति में स्पष्टत: परिलक्षित होता है।

निष्कर्ष :

इस प्रकार देखा जाता है कि भारतीय संस्कृति पर सिन्धु सभ्यता के भौतिक और धार्मिक दोनों पक्षों का प्रभाव पड़ा। यद्यपि सिन्धु सभ्यता और भारतीय संस्कृति के साक्ष्यों के बीच समय का लम्बा अन्तराल है, किन्तु भारत की ऐतिहासिक काल की संस्कृति पर सिन्धु सभ्यता के प्रभाव को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।

धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र० 
छात्र:  प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय

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