itihas kya hai | इतिहास क्या है? | what is history ? | 10 best definitions in hindi.

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Itihas kya hai : इतिहास को समझने के पूर्व हमें यह समझना आवश्यक है कि इतिहास क्या है?
Itihas kya hai
What is history|इतिहास क्या है ?

इतिहास क्या है? – (What is History in hindi)

मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है। उसका प्रत्येक कार्य विचारपूर्ण होता है। उसके हृदय में हमेशा उत्कंठा विद्यमान रही है। इसी उत्कंटा तथा जागृति के फलस्वरूप उसका ध्यान अतीत की जानकारी की ओर एवं अध्ययन की और उन्मुख हुआ। भविष्य वर्तमान में परिवर्तित होता है और वर्तमान इतिहास में, इस प्रक्रिया का मानव जीवन में घनिष्ठ सम्बन्ध है। भविष्य वर्तमान से जुटा रहता है और वर्तमान अतीत में।

 प्राचीनकाल में ही अतीत की घटनाओं तथा विचारों इत्यादि को संजोकर रखने का प्रयास किया जाता रहा है।
घटनाओं को सुरक्षित रखने का यह कार्य जब क्रमानुसार होता है तब इसे इतिहास कहा जाता है।

पुराने समय से अब तक आने वाली मानव जाति से सम्बद्ध घटनाओं का वर्णन करना ही इतिहास है।
इन घटनाओं व ऐतिहासिक साक्ष्यों को तथ्यों के आधार पर प्रमाणित किया जाता है।”
दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि “इतिहास अब से पूर्व की घटनाओं का वर्णन है।”

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इतिहास का जनक हेरोडोटस (Herodotus)को माना जाता है जो की सिकंदर के पूर्व का एक यूनानी विद्वान व इतिहासकार था।

गहनता से देखें तो इतिहास 2 रूपों में प्रयोग किया जाता है
पहला पूर्व की घटित घटनाएं तथा दूसरा उन घटनाओं से सम्बद्ध विचार धारणाएं।

आज इतिहास भी अन्य विषयों की भांति सामाजिक विषय का एक अंग बन गया है।
सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत कई विषय समाहित हैं जो हमें हमारे अथवा किसी भी समाज का ज्ञान प्रदान करने में समर्थ होते हैं।
प्रायः समाज का ज्ञान कराने से तात्पर्य यह है कि उस समाज का रहन-सहन,भौगोलिक जानकारी, संस्कृति, वातावरण, शासन व्यवस्था, कला व स्थापत्य समेत उस समाज के मनुष्यों के बारे में आदि जानकारियां देते हैं।

इतिहास उन सभी विषयों में एक श्रेष्ठ विषय के रूप में स्थान धारण कर चुका है।

History of india in hindi-  prachin itihas kya hai

इतिहास का शाब्दिक अर्थ – Meaning of history

शाब्दिक रूप में यदि देखा जाय तो ‘इतिहास’ शब्द एक बहुत ही प्रचलित शब्द है।
इतिहास शब्द संस्कृत भाषा के तीन शब्दों इति(ऐसा ही), ह(निश्चित रूप सेे)  तथा आस(था) से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ऐसा ही निश्चित रूप से था,अर्थात जो घटनााएं निश्चित रूप से घटी है, वही इतिहास है।
सर्वप्रथम ग्रीस के लोगो ने इतिहास के लिए के लिए “हिस्तरी” (history) शब्द का प्रयोग करते थे। “हिस्तरी” का शाब्दिक अर्थ “बुनना” था।
ऐसा प्रतीत होता है कि ज्ञात घटित घटनाओं को एक क्रम में बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो।

आचार्य दुर्ग ने इस विषय में लिखा है-“इति हैवमासीदति यत् कथ्यते तत् इतिहासः” (निरुक्त भाष्य वृत्ति रचना) अर्थात् यह निश्चत रूप से इस प्रकार ही हुआ था-यह जो कहा जाता है, वह इतिहास है। इसी प्रकार से छान्दोग्य उपनिषद में ‘इतिहासः पञ्चमोवेदः’अर्थात् इतिहास को पाँचवा वेद माना गया है।
अंग्रेजी में इतिहास को (History) कहते हैं जोकि यूनानी संज्ञा लोरोप्ला (Loropla) से ग्रहण किया गया है। जिसका अर्थ होता है सीखना। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार इतिहास के लिये जर्मन शब्द ‘GESCHICHTE” है और इसका अर्थ है ‘घटित होना’।

शाब्दिक अर्थ को दूसरे रूप में यदि समझा जाए तो,
हिस्ट्री’ (History) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘हिस्टोरिया’ (Historia) से हुई है जिसका अर्थ ‘खोजना या जानना’ है। यह शब्द अतीत की घटनाओं की ओर संकेत करता है। ‘हिस्ट्री’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ग्रीक लेखक हेरोडोटस ने किया था। इसीलिए उसे ‘इतिहास का पिता’ कहा जाता है। 
हिस्ट्री का भारतीय शब्द‘इतिहास’ है।

 इतिहास शब्द ‘इति+ह+हास शब्दो  के मिलने से बनता है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘ऐसा ही हुआ था’। यहाँ ‘इति’ से आशय है – ‘बीता हुआ युग’।‘ह’ निश्चय वाचक है और ‘आस’ था को कहते हैं अर्थात् जो निश्चय करके बीत गया है, उसे इतिहास कहते हैं। इतिहास शब्द का प्राचीनतम उल्लेख अथर्ववेद के
व्रात्यकाण्ड में व्यवहार में आया है। हिस्ट्री के लिए इरानी प्रत्यय सूचक शब्द‘तवारीख’ का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन यह शब्द तारीख का बहुवचन मात्र
है। इतिहास केवल तारीखो  और तिथियों का संग्रह ही नहीं इन सबसे बहुत अधिक
है।
इतिहास न केवल भूतकाल से सम्बन्धित है अपितु वर्तमान और
भविष्य से भी इसका सम्बन्ध है। अतीत (भूतकाल) की घटनाओ से हम वर्तमान में
प्रेरणा लेकर भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।

2.इतिहास का सामान्य अर्थ- itihas ki avdharna

सामान्यतया इतिहास बीता हुआ समय है।
अर्थात इतिहास को सामान्य रूप में देखे तो इतिहास मात्र पिछली घटनाओं का अध्ययन है।
इतिहास हमे हमसे पूर्व की जानकारी प्रदान करता है।
इतिहास न केवल एक विषय है अपितु यह एक वृहद अनुभव है जो हमें जीवन से सम्बद्ध समस्त मूल भूत बातों का ज्ञान कराता है। मनुष्य सदैव से ही अपने अतीत की घटनाओं की जानकारी के लिए उत्सुक रहा है। उसके द्वारा प्राप्त इस प्रकार का ज्ञान इतिहास कहलाता है।
इतिहास पृथ्वी पर घटित समस्त घटनाओं का परिचायक है वो चाहे राजनीति से संबंधित हो अथवा समाज से, आर्थिक हो या सांस्कतिक हो; यह समस्त क्षेत्र इतिहास की सीमा क्षेत्र में आता है।
इस प्रकार देखें तो –इतिहास एक समय सीमा के अंतर्गत मानव विकास की प्रतिक्रियाओं का लेखन अथवा आलेख है।”
अर्थात समयानुकूल मानव के क्रमिक विकास की कहानी का क्रमबद्ध विवरण ही इतिहास है।

3.इतिहास की कुछ परिभाषाएं (Definitions of history in hindi)-

इतिहास के शाब्दिक अर्थ,सामान्य अर्थ को समझने के पश्चात इतिहास की कुछ परिभाषाओं (itihas ki paribhasha) को जानना आवश्यक है,तभी इतिहास का वास्तविक अर्थ स्पष्ट हो सकेगा।
इतिहास की कुछ प्रसिद्ध परिभाषाएं (Itihas ki paribhasha) निम्नवत हैं।

1. इतिहास ज्ञान की ऐसी शाखा है जिसके अंतर्गत हम मानव जाति से संबंधित पिछली घटनाओं का अध्ययन करते हैं उसे इतिहास कहते हैं.”
2. किसी विशेष व्यक्तियों ,, राष्ट्र , समय , मनुष्यों इत्यादि से संबंधित पिछले घटनाओं की निरंतर, व्यवस्थित एवं सार्थक कथा को इतिहास कहते हैं.”
3. इतिहास सामाजिक विज्ञान (social science) की वह शाखा है जिसके तहत अतीत काल की घटनाओं या उससे संबंंध रखने वाले व्यक्तियों का कालानुक्रमानुसार अध्ययन किया जाता है।

4.  कहीं घटित घटनाओं या उससे संबंधित  समस्त    घटनायें , समाज एवं सार्वजनिक क्षेत्रों संबंधित हो और उन तथ्यों को क्रम से विवेचना किया जाता है उसे इतिहास कहते हैं।

5.  इस प्रकार इतिहास बदलाव का एक लेखा मात्र है।”

6. किसी व्यक्ति, समाज अथवा देश से सम्बंधित महत्वपूर्ण, विशिष्ट व सार्वजनिक क्षेत्र की घटनाओं, तथ्यों आदि का कालक्रम विवरण (Chronological Description) इतिहास कहलाता है। इतिहास किसी समाज विशेष की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति तथा इन स्थितियों में समय के साथ-साथ होने वाले परिवर्तनों को भी प्रस्तुत करता है।

उपरोक्त वर्णन से यह स्पष्ट हो चुका है कि इतिहास मानव की पिछली जानकारियों का क्रमबद्ध अध्ययन है।

4.इतिहास : एक अनुभव – (history:an experience)

जैसा कि उपरोक्त वर्णन से यह स्पष्ट हो चुका है कि इतिहास मानव द्वारा प्राप्त किये गए अनुभवों का एक संकलन,वर्णन,अथवा लेखन है।
इतिहास अब से पूर्व की घटनाओं की जानकारी साझा करता है।
इतिहास के अनुभव हमें सकारात्मक तथा नकारात्मक पक्षों का ज्ञान कराता है जिससे हमें अपने व्यवहारिक जीवन में लाभ मिलता है।

5.इतिहास:एक विषय- (History subject in hindi)

मानव प्राचीन काल से ही अपने अतीत के विषय में जानने के लिये जिज्ञासु रहा है,उसकी यही जिज्ञासा इतिहास को इतिहास विषय बना दिया।
आज इतिहास एक स्वतंत्र विषय बन चुका है।

6.इतिहास का स्वरूप-

अब हम इतिहास की प्रकृति या स्वरूप क्या है?
ब्यूरी, सीले एवं डिल्थे इत्यादि विद्वानों के अनुसार इतिहास एक विज्ञान है, क्योंकि इतिहास और विज्ञान दोनों का ही उद्देश्य एक समान होता है। दोनों में ही सत्य की खोज प्रमुख रहती है। हेनरी पिरेन, राउज एवं एल्टन इत्यादि इतिहास को कला मानते हैं। ट्रेवेलियन के अनुसार इतिहास कला एवं विज्ञान दोनों ही हैं क्योंकि एक इतिहासकार को तथ्यों के आंकलन के लिये एक वैज्ञानिक की मौत कार्य करना पड़ता है और इन निर्जीव तथा नौरस तथ्यों को सहज एवं सरल बनाने के लिये कला का सहारा लेना पड़ता है। इस प्रकार से इतिहास के बारे में सभी विद्वानों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किये हैं।
 इतिहास अपने प्राकृतिक स्वरूप में विज्ञान है अथवा कला? पर विचार करेगें। इंगलैण्ड में सर्वप्रथम इस प्रश्न को उठाने वाले विद्वान प्रो0 जे0वी0 व्युरो थे। उन्होनें 1903 ई0 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एक उद्घाटन समारोह के अवसर पर अपने अभिभाषण में कहा कि इतिहास एक विज्ञान है, न कम और न ज्यादा (History is a Science no less , no
more)

7.इतिहास की प्रकृति

यदि बात करें इतिहास की प्रकृति की तो इतिहास से हम प्राचीन घटनाओं की जानकारी तो पाते हैं। साथ ही इतिहास कार का कर्तव्य है कि वह इतिहास की प्रकृति तथा स्वरूप को ध्यान में रखे ।
इस प्रकार यह सर्वविदित तथ्य है कि इतिहासकार का कार्य मात्र अतीत की घटनाओं का वर्णन नहीं किन्तु उन्हें तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत करना है।

8.इतिहास का विषय क्षेत्र-

गैरोन्स्की ने लिखा है कि “इतिहास विगत मानवीय समाज का मानवतावादी एवं व्याख्यात्मक अध्ययन है। जिसका उद्देश्य वर्तमान के सम्बन्ध में अन्तर्दृष्टि प्राप्त करना तथा अनुकूल भविष्य को प्रभावित करना है इस प्रकार मानव के अध्ययन की दृष्टि से इतिहास समस्त समाज विज्ञानों से विशेष रूप से सम्बद्ध है। विभिन्न सामाजिक विज्ञानो-भूगोल, अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, नागरिक शास्त्र, राजनीतिक विज्ञान , भौतिकी, साहित्य, कला, पुरातत्व, नवंश शास्त्र, सामाजिक ज्ञान, दर्शन, तर्कशास्त्र तथा प्राकृतिक विज्ञानों से इतिहास का घनिष्ट सम्बन्ध है क्योंकि इतिहास इन सभी विषयों द्वारा वर्णित विभिन्न पक्षों के अतीत की व्याख्या प्रस्तुत करता है।

इतिहास का भूगोल से संबंध- 

इतिहास ‘भूगोल’ से घनिष्ठता से सम्बद्ध है। जॉनसन के अनुसार भूगोल के बिना इतिहास तथा इतिहास के बिना भूगोल की कल्पना करना असम्भव है। घाटे के शब्दों में “मानव को अपनी भूमिका का अभिनय करने के लिये भूगोल एक रंग-मंच प्रस्तुत करता है।”

इतिहास का नागरिक शास्त्र तथा राजनीति शास्र से संबंध-

दीर्घकाल से नागरिक शास्त्र एवं राजनीति विज्ञान का अध्ययन-अध्यापन इतिहास के एक अभिन्न अंग के रूप में किया जाला रहा है। वस्तुत: इतिहास से ही राजनीति एवं नागरिक शास्त्र की उत्पत्ति हुई है नागरिक शास्त्र मानव के कार्यो का एक नागरिक रूप में अध्ययन करता है जबकि इतिहास मानव के कार्यों के सामाजिक विकास का विवरण प्रस्तुत करता है। इस तरह नागरिक शास्त्र के सिद्धांत का ऐतिहासिक विकास क्रम के आधार पर निर्माण होता है।

 इतिहास तथा सामाजिक ज्ञान का सहसंबंध-

वास्तविक जीवन की आवश्यकता के अनुकूल इतिहास, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, भूगोल आदि सामाजिक विज्ञानों का पृथकत: अध्ययन न करके उन्हें विशिष्ट इकाइयों में विभक्त कर संग्रथित रूप से अध्ययन कराया जाये। इस संग्रथित अथवा एकीकृत रूप में इसे ‘सामाजिक विज्ञान’ के नाम से जाना गया।

 इतिहास तथा समाज शास्त्र का संबंध-

इतिहास अतीत की घटनाओं का वर्णन करते हुए समाज की प्रगति को प्रदर्शित करता है अर्थात् इतिहास सामाजिक कार्यों का विश्लेषण करता है।
सभ्यताओं के उत्थान व पतन का मूल्यांकन समाजशास्त्र द्वारा ही सम्भव है। इतिहासकार समाजशास्त्र द्वारा दिये गये सामाजिक संगठन के सिद्धान्त पर अपनी सामग्री संयोजित करते हैं और उन सिद्धान्तों के आधार पर ऐतिहासिक काल की विवेचना करते हैं।

इतिहास तथा अर्थशास्त्र का संबंध-

अर्थशास्त्र के अन्तर्गत ‘आर्थिक विचारों का इतिहास’ और ‘विभिन्न देशों के आर्थिक इतिहास’ का अध्ययन किया जाता है। इतिहास की प्रमुख घटनाओं के फलस्वरूप अर्थशास्त्र में अनेकानेक सिद्धान्तों का विकास हुआ। आर्थिक सिद्धान्तों के ज्ञान के बिना इतिहास का ज्ञान अधूरा रहता है।

 इतिहास तथा पुरातत्व का सहसंबंध-

इतिहास और पुरातत्व दोनों का मूल उद्देश्य है मानव के विकास का अध्ययन करना।
इसलिए दोनों अत्यंत सन्निकट हैं। दोनों की पद्धति समान तथा कालानुक्रम उनकी आधार शिला है
जहाँ इतिहास की गति अवरुद्ध हो जाती है वहाँ पुरातत्व ही प्रागैतिहास के माध्यम से इतिहास को आगे बढ़ाता है।
इतिहास तथा पुरातत्व दोनों के केंद्र में मनुष्य होता है
अतः हम कह सकते हैं कि इतिहास तथा पुरातत्व का एक दूसरे से विशेष संबंध है।

9.निष्कर्ष(Conclusion)-

उपरोक्त वर्णन से यह स्पष्ट हो चुका है कि इतिहास है क्या? (history kya hai in english).
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि, इतिहास एक ऐसा विषय है जिसे सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता। इतिहास हर विषय से सम्बन्धित है। प्राचीनकाल से आज तक इस पृथ्वी पर जो कुछ भी हुआ है वह इतिहास ही है। हर वस्तु का अपना इतिहास होता है। एक विद्वान का मानना है कि इतिहासकार के प्रयास का लक्ष्य अतीत तथा वर्तमान के मध्य एक ऐसे सेतु का निर्माण करना है जिसके माध्यम से वह समसामयिक समाज को अतीत का अवलोकन कराकर अतीत के उद्धरणों द्वारा वर्तमान को प्रशिक्षित करें तथा भविष्य का मार्गदर्शन कर सके।
धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलाहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़
छात्र:  प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक द्वितीय वर्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय

FAQs


Question 1. इतिहास के जनक कौन हैं? 

Answer- हेरोडोटस को इतिहास का जनक (Father of the History) माना जाता है।

Question 2- इतिहास की परिभाषा क्या है? 

Answer - इतिहास ज्ञान की ऐसी शाखा है जिसके अंतर्गत हम मानव जाति से संबंधित पिछली घटनाओं का अध्ययन करते हैं उसे इतिहास कहते हैं।

Question 3- भारत का इतिहास कब शुरू हुआ ?

Answer- भारत का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से ही शुरू होता है जोकि आज से लगभग लाखों वर्ष पूर्व की बात है।

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