वैदिक काल | Vedic period | आर्यों का मूल निवास | Aryon ka mul nivas sthan | वैदिक संस्कृति | 15 important facts

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हड़प्पा सभ्यता के बाद भारत में वैदिक अथवा आर्य सभ्यता का उदय हुआ। सामान्यतः ऐसा माना गया है कि आर्यों ने ही हड़प्पा सभ्यता के नगरों को ध्वस्त कर इस नई सभ्यता की नींव रखी थी। किंतु ठोस साक्ष्य न मिलने के कारण इसे पूर्णतः सत्य नहीं कहा जा सकता है। इसके विषय में हम आगे के लेखों में विचार करेंगे।

Vedic period| आर्यों का मूल निवास
Vedic period

वैदिक काल (Vedic period) :

यहां आज हम इस article के अंतर्गत आपको आर्यों की संस्कृति, जिसे वैदिक संस्कृति (Vedic culture) कहा जाता है, के बारे में समझाने का प्रयास करेंगे। साथ ही आर्यों का मूल निवास स्थान ? जोकि प्राचीन भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद व गंभीर विषय है इससे संबंधित अलग अलग विद्वानों के मतों को जानने का प्रयास करेंगे।

यहां हम आपको संक्षेप में पूर्ण जानकारी देने की पूरी कोशिश करेंगे जोकि किसी भी परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।

आईये जानते हैं वैदिक संस्कृति को – 

वैदिक संस्कृति – Vedic culture in hindi 

वैदिक सभ्यता भारत की एक प्राचीन सभ्यता थी जिसमें वेदों की रचना हुई। आर्य सभ्यता का ज्ञान वेदों से होता है।

वैदिक शब्द ‘वेद’ से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ज्ञान।

वैदिक सभ्यता के निर्माता ‘आर्य’ थे। ‘आर्य’ एक भाषा सूचक शब्द है जिसका अर्थ श्रेष्ठ, उत्तम, अभिजात या कुलीन व्यक्ति होता है।

सर्वप्रथम मैक्समूलर ने 1853 ई. में आर्य शब्द का प्रयोग एक श्रेष्ठ जाति के रूप में किया था। आर्यों की भाषा संस्कृत थी ।

वैदिक काल को दो भागों में बाँटा गया है―

 (i) ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई. पू.)

 (ii) उत्तर वैदिक काल (1000- 600 ई. पू.)

ऋग्वैदिक काल की जानकारी का एकमात्र स्त्रोत ऋग्वेद है। इसकी रचना 1500 से 1000 ई. पू. में हुई थी।

ऋग्वेद में 10 मंडल हैं जिनमें दूसरे से सातवें तक के मंडल सबसे प्राचीन माने गए हैं जबकि पहला और दसवाँ मंडल बाद में जोड़ा गया है।

ऋग्वेद के दूसरे से सातवें मंडल को गोत्र मंडल के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि इन मंडलों की रचना किसी खास गोत्र से संबंधित परिवार ने की थी। जैसे-

मंडलगोत्र
द्वितीय मंडलगृत्समद भार्गव
तृतीय मंडलविश्वामित्र
 चतुर्थ मंडलवामदेव
 पंचम मंडलअत्रि
षष्ठ मंडलभारद्वाज.
सप्तम मंडलवशिष्ठ

नवां मंडल सोम को समर्पित है। अतः इसे सोममंडल कहा गया है।

दसवें मंडल में वर्णित पुरुषसूक्त में चतुर्वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है। इसी मंडल में देवी सूक्त का भी उल्लेख है।

ऋग्वेद का पाठ होता या होतृ नामक पुरोहित करते थे। साथ ही लोपामुद्रा, घोषा, अपाला, पौलेमी, सच्ची नामक विदुषी महिलाओं ने भी ऋग्वेद की कुछ ऋचाओं की रचना की थी।

इसके अलावा इस काल की जानकारी के लिए पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में चित्रित धूसर मृदभांड, 1400 ई. पू. का बोगजकोई अभिलेख एवं 1600 ई. पू. के कस्सी अभिलेख का सहारा लिया जाता है।

एशिया माइनर के बोगजकोई अभिलेख में ऋग्वैदिक देवता इंद्र, वरुण, मित्र एवं नासत्य का उल्लेख मिलता है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि वैदिक आर्य ईरान से होकर भारत आए होंगे।

यूनेस्को द्वारा ऋग्वेद को विश्व मानव धरोहर के साहित्य में शामिल किया गया है।

आर्यों का मूल निवास : Aryon ka mul nivas

आर्यों के मूल निवास स्थान के संबंध में विद्वानों में काफी मतभेद है अलग-अलग विद्वान अपनी-अपनी अलग-अलग तर्कों के माध्यम से इसकी व्याख्या करते हैं। विभिन्न विद्वानों के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान को निम्नलिखित बताया गया है―

विद्वानमत
पंडित गंगानाथ झाब्रह्मर्षि देश
डी. एस. त्रिवेदीदेविका (मुल्तान)
एल. डी. कल्लकश्मीर तथा हिमालय क्षेत्र
मैक्समूलरमध्य एशिया
ब्रेन्डेनस्टिनयूराल पर्वत के दक्षिण के यूरेशियाई क्षेत्र
गॉर्डन चाइल्ड व पीकदक्षिणी रूस
दयानंद सरस्वती तिब्बत
बाल गंगाधर तिलकउत्तरी ध्रुव
डॉ. अविनाश चंद्र दाससप्त सैंधव प्रदेश

उपरोक्त विचारों में सर्वाधिक मान्य विचार मैक्समूलर (मध्य एशिया) व ब्रैंडनस्टिन (यूराल पर्वत के दक्षिण यूरेशियाई क्षेत्र) का मत है।

इस प्रकार हमने आज इस लेख में आर्यों से संबंधित बहुत ही उपयोगी जानकारियां प्राप्त कीं। अगर आपको ये जानकारियां अच्छी लगी हों तो इसे अपने मित्रों के साथ Share कर के उन पर एक उपकार अवश्य करें।

धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र० 
छात्र:  प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय

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