भूगोल का अन्य विषयों से संबंध | Relation between Geography and other subjects. | भूगोल और प्राकृतिक विज्ञानों का संबंध | भूगोल और सामाजिक विज्ञानों का संबंध

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 पिछली पोस्ट्स के माध्यम से हम भूगोल का अर्थ , भूगोल किसे कहते हैं , भूगोल की परिभाषा और भूगोल के अध्ययन की 2 विधियां अथवा भूगोल की 2 शाखाओं की चर्चा हम कर चुके हैं जिनके लिंक नीचे दिए हुए हैं। भूगोल के सम्पूर्ण ज्ञान के लिए तथा Zero level से भूगोल को समझने के लिए आप इस लेख के साथ साथ पिछले लेखों को भी अवश्य पढ़ें। 

इस लेख के माध्यम से हम आप सभी को भूगोल का अन्य विषयों से संबंध अथवा भूगोल का प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञान के विषयों के साथ संबंधों की व्याख्या करेंगे। 

आईये देखते हैं भूगोल का अन्य विषयों के साथ संबंध:- 

भूगोल का अन्य विषयों से संबंध

भूगोल (Geography):- 

साधारण शब्दों में कहें तो भूगोल पृथ्वी का वर्णन है। 

‘भूगोल’ शब्द हिन्दी के दो शब्दों से बना है भू+गोल । अर्थात् ‘पृथ्वी गोल है’। 234 ई०पू० यूनान के प्रसिद्ध विद्वान इरेटॉस्थेनीज (Eratosthenese-234 BC) ने इस विषय की परिभाषा देने के लिए Geography शब्द का प्रयोग किया इरेटॉस्थेनीज़ यूनानी विद्वान थे। जो मिस्त्र के अलेक्ज़ोडिया नगर में 276-194 ई०पू० रहते थे।

    अंग्रेज़ी में Geography दो यूनानी शब्दों के मेल से बना है Geo (पृथ्वी) और Graphos (वर्णन) अर्थात् ‘भूगोल’ वह विषय है जिसमें हम पृथ्वी का वर्णन करते हैं।’

 पृथ्वी सदा से ही मानव के लिए आवास प्रदान करती रही है। अतः एल० डी० स्टाम्प जैसे विद्वानों ने भूगोल को “मानव के निवास के रूप में पृथ्वी का वर्णन” कहकर परिभाषित किया है।

विस्तार से भूगोल के विषय मे जानने के लिए पिछली पोस्ट्स अवश्य पढ़ें।


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भूगोल : एक समाकलन विषय

भूगोल के अध्ययन में समग्रात्मक (Holistic) दृष्टिकोण अपनाया जाता है और विश्व में पाई जाने वाली परस्पर निर्भरता को मान्यता दी जाती है। तीव्र एवं कुशल परिवहन के विकास से दूरियों कम हो गई हैं और समस्त संसार एक वैश्विक ग्राम (Global village) बन गया है। 

  श्रव्य-दृश्य माध्यमों (Audio Visual Media) एवं सूचना तकनीकी (Information Technology) ने आंकड़ों को बहुत समृद्ध बना दिया है।

 समाकलन विषय होने के कारण भूगोल बहुत से प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है। भूगोल में यथार्थता को समझने की क्षमता है। नीचे के चित्र में भूगोल का विभिन्न प्राकृतिक, सामाजिक तथा जैविक विज्ञानों से संबंध दर्शाया गया है। इन विज्ञानों का भूगोल से संबंध होने का मुख्य कारण यह है कि इन विषयों के कई तत्वों में क्षेत्रीय भिन्नताएं पाई जाती हैं। भूगोल एक ऐसा विषय है जिसमें यथार्थ को समग्रता में समाकलित करने की क्षमता है।

भूगोल का अन्य विषयों के साथ संबंध:- 

हम भलीभांति जानते हैं कि भूगोल विषय के अंतर्गत भौतिक एवं सांस्कृतिक वातावरण का तथा उनके अंतर्संबंधों का अध्ययन किया जाता है। तथा भूगोल प्राकृतिक व सामाजिक दोनों ही विज्ञान है, जोकि मानव व पर्यावरण दोनों का ही अध्ययन करता है।

साथ ही हम यह भी जानते हैं कि भूगोल की विषय वस्तु अथवा अध्ययन क्षेत्र अधिकांशत: प्राकृतिक विज्ञानों (Natural science) तथा मानव विज्ञानों (Human science) अथवा सामाजिक विज्ञान के विषयों से मिलती जुलती है । इस आधार पर हम यह कहने में सक्षम हैं कि भूगोल विषय प्राकृतिक विज्ञान व सामाजिक विज्ञान के विषयों से अविच्छिन्न रूप से संबंधित है। 

भूगोल का प्राकृतिक विज्ञानों के साथ संबंध:- 

प्राकृतिक विज्ञानों में भौतिक विज्ञान गणित व खगोलिकी , भू विज्ञान , मौसम विज्ञान , जल विज्ञान , मौसम विज्ञान आदि विषय आते हैं। इन प्राकृतिक विज्ञानों (भौतिक विज्ञानों) से भूगोल किस प्रकार संबंधित हैं इसका विवरण निम्नलिखित है।

भौतिक भूगोल का भौतिक अथवा प्राकृतिक विज्ञानों के साथ गहरा संबंध है। परंपरागत रूप में भौतिक भूगोल भौमिकी, मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, मृदा विज्ञान से संबंधित है। अतः भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, सामुद्रिक विज्ञान, मृदा भूगोल का प्राकृतिक विज्ञान से निकट का संबंध है। भौतिक भूगोल की ये शाखाएँ अपने से संबंधित विज्ञानों से सूचनाएं प्राप्त करती हैं। इसी प्रकार जैव-भूगोल का जीव विज्ञान, वनस्पति शास्त्र तथा पारिस्थितिकी विज्ञान से निकट का संबंध है।

1. भूगोल एवं गणित का संबंध (Relation between Geography and Math):- 

एक भूगोलवेत्ता को गणित में निपुण होना चाहिए क्योंकि भूगोल खगोलीय स्थितियों से संबंधित है। यह अक्षांश तथा देशांतर रेखाओं से भी जुड़ा हुआ है जिनसे ग्लोब पर स्थितियाँ निर्धारित करने में सहायता मिलती है। ग्लोब, जोकि पृथ्वी का शुद्ध प्रतिनिधित्व करता है, त्रि-आयामी है जबकि मानचित्र, जो भूगोलवेत्ता का मुख्य उपकरण है, द्वि-आयामी है। 

पृथ्वी का सही आकार भू-आम (Geoid) है और हम त्रि-आयामी भू-आम को द्वि-आयामी मानचित्र में परिवर्तित करने के लिए मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection) का प्रयोग करते हैं। रेखात्मक तथा परिमाणात्मक तकनीक में गणित, सांख्यिकी तथा अर्थमिति (Econometrics) निपुणता की आवश्यकता होती है।

2. भूगोल का भू विज्ञान से संबंध (Relation between Geography and Geology):- 

हम यह भली-भांति जानते हैं कि भू विज्ञान में हम पृथ्वी की  धरातलीय बनावट , पृथ्वी की आकृति व आकार , धरातलीय चट्टानें , उन चट्टानों के निर्माण प्रक्रिया अथवा उनकी उत्पत्ति एवं उनका प्रसार , तथा चट्टानों में पाए जाने वाले विविध  खनिज तत्व व उनकी प्रकृति व मात्रा आदि का तथा पृथ्वी की अवधि अथवा पृथ्वी का भूवैज्ञानिक विधि से कालक्रम ,  पृथ्वी का संघटन और संगठन , भूतल पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं , पृथ्वी की संरचना तथा उसका इतिहास आदि महत्वपूर्ण बिंदुओं का अध्ययन किया जाता है। 

तथा हम यह भी जानते हैं कि भूगोल में हम पृथ्वी के धरातल का अध्ययन करते हैं जिसका निश्चय ही संबंध पृथ्वी के आंतरिक भाग से होता है। साथ ही पर्वत , पठार भ्रंशन , घाटी , मैदान , वलन आदि  का संबंध भी पृथ्वी की आंतरिक अवस्था से होता है। इन सभी का अध्ययन भूगोल की भौतिक भूगोल की शाखा के अंतर्गत किया जाता है। भौतिक भूगोल में भी यदि और स्पष्ट करें तो यह भौतिक भूगोल की भू-आकृति विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। तथा भूगोल में स्थलरूपों के विश्लेषण में भूविज्ञान के सिद्धान्तों तथा साक्ष्यों का सहारा लिया जाता है। इस प्रकार भूगोल भू-विज्ञान से विशिष्ट रूप से संबंधित है। 

3. भूगोल और खगोल विज्ञान (Relation between Geography and Astronomy):- 

खगोल विज्ञान विषय में आकाशीय पिण्डो (ग्रहों , उपग्रहों तारों , धूमकेतुओं , उल्कापिंड , नक्षत्रों , आदि) का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाता है। 

गौरतलब है कि भूतल की घटनाओं और तत्वों में उपर्युक्त आकाशीय पिण्डो का प्रत्यक्ष प्रभाव होता है। यह पृथ्वी के धरातल की दैनिक घटनाओं और क्रियाओं में भी प्रभावशाली होते हैं। 

तथा भूगोल पृथ्वी के धरातल का अध्ययन है। साथ ही भूगोल में सौरमंडल, सूर्य का अपने आभासी पथ पर गमन, पृथ्वी की दैनिक और वार्षिक गतियों तथा उनके परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों – दिन-रात और ऋतु परिवर्तन, चन्द्र कलाओं, सूर्य ग्रहण, चन्द्रगहण आदि का अध्ययन किया जाता है। तथा इन उपरोक्त तत्वों का मूल रूप से अध्ययन खगोल विज्ञान में किया जाता है। इस प्रकार हम यह पाते हैं कि भूगोल का खगोल विज्ञान से गहरा संबंध है। 

4. भूगोल और ऋतु विज्ञान का संबंध (Relation between Geography and meteorology):

भूगोल और ऋतुविज्ञान का गहरा संबंध हमेशा से रहा है। हम जानते हैं कि धरातल को प्रभावित करने वाले कई भौगोलिक कारकों में से जलवायु सबसेप्रमुख , शक्तिशाली ,  और महत्वपूर्ण कारक है। 

ऋतुविज्ञान वायुमण्डल में घटित होने वाले भौतिक प्रक्रमों का तथा उससे सम्बद्ध स्थलमंडल और जलमंडल के विविध प्रक्रमों का अध्ययन करता है। इस विज्ञान के अंतर्गत पवन , वायुदाब , तापमान , आर्द्रता , वर्षण, मेघाच्छादन , सूर्य का प्रकाश , सौर विकिरण आदि का अध्ययन किया जाता है। मौसम विज्ञान के इन उपरोक्त तत्वों का विश्लेषण भूगोल विषय में भी किया जाता है।

जलवायु का प्रभाव मानव की समस्त क्रियाओं की भांति  आर्थिक क्रियाओं को प्रभावित करता है। कृषि की उपज, वनस्पति, उद्योग और व्यवसाय उस प्रदेश की जलवायु से प्रभावित रहते हैं। इनका अध्ययन भूगोल में किया जाता है। अतः भूगोल और ऋतु विज्ञान में निकट का सम्बन्ध है। 

5. भूगोल और मृदा विज्ञान का संबंध (Relation between Geography and soil science):- 

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि मृदा विज्ञान के अंतर्गत मिट्टी के विषय मे समस्त अध्ययन किया जाता है। इनमें मिट्टी के प्रकार , मिट्टी के निर्माण , उनकी संरचना , तथा मिट्टी/मृदा की विशेषताओं का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है। 

भूतल अथवा धरातल पर मिट्टियों का तथा मिट्टियों के वितरण का अध्ययन मृदा भूगोल (Pedogeogaphy or Soil Geography) के अंतर्गत किया जाता है। 

इस प्रकार हम यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि भूगोल का मृदा विज्ञान से गहरा संबंध है। 

6. भूगोल और जल विज्ञान का संबंध (Relation between Geography and Hydrology):- 

गौरलतब है कि जल विज्ञान जल के अध्ययन से संबंधित है। दूसरे शब्दों में जल विज्ञान में जल का अध्ययन करते हैं।

 इसके साथ ही इस विज्ञान में जल के अन्वेषण, प्रयोग, नियंत्रण और संरक्षण का अध्ययन भी समाहित होता है।

     महासागरीय तत्वों के स्थानिक वितरण का अध्ययन भूगोल की एक शाखा समुद्र विज्ञान (Oceanography) के अंतर्गत किया जाता है। समद्र विज्ञान अथवा सागरीय विज्ञान में महासागरीय जल के पशुओं के पीने से लेकर , फसलों की सिंचाई करने, कारखानों में जलापूर्ति करने , जलशक्ति, जल परिवहन, मत्स्यपालन आदि विभिन्न रूपों में जल आवश्यक ही नहीं अनिवार्य होता है। तथा इन उपरोक्त चीजों का अध्ययन भूगोल में भी किया जाता है। 

इस प्रकार हम पाते हैं कि भूगोल जल विज्ञान से विशेष रूप से संबंधित हैं। 

7. भूगोल और वनस्पति विज्ञान का संबंध (Relation between Geography and :Botany)-

वनस्पति विज्ञान (Botany) में वनस्पति से संबंधित अध्ययन किया जाता है तथा साथ ही वनस्पति और उनका वितरण का अध्ययन किया जाता है। हम्बोल्ट ने अपनी दक्षिणी अमरीका यात्रा के समय वनस्पति और प्राकृतिक वातावरण के आपसी सम्बन्ध को स्पष्ट किया था। किसी स्थान की वनस्पति वहां की जलवायु और मिट्टी से प्रभावित होती है। जलवायु, मिट्टी तथा वातावरण भूगोल के अध्ययन  के विषय वस्तु में आते है। इसके अलावा इनके अध्ययन के लिए भूगोल की स्वतन्त्र शाखा पादप भूगोल (Phytogeography) विकसित की गयी है। अत: भूगोल और वनस्पति विज्ञान एक-दूसरे के निकट हैं।

8. भूगोल और जंतु विज्ञान का संबंध (Relation between Geography and Zoology):- 

जंतु विज्ञान अथवा प्राणी विज्ञान हमें समस्त प्रकार के प्राणि  जीवन की और जीव जंतुओं के व उनके संरचना , वर्गीकरण और कार्यों बारे में वैज्ञानिक अध्ययन कराता है। 

मनुष्यों के जीवन में जीव जंतुओं और समस्त प्रकार के प्राणियों और पशु संसाधनों का अत्यंत महत्व है। 

पशुओं की उपयोगिता मानव जीवन में कितनी है यह हमें बताने की आवश्यकता नहीं है। पशुओं से हमें दूध , मांस , ऊन , चमड़ा आदि प्राप्त होते हैं। इसके अलावा पशु सामान ढोने और यातायात में भी उपयोगी साबित होते हैं। 

इन्हीं उपरोक्त विषयों का वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन भूगोल की जैव भूगोल शाखा की जंतु भूगोल उपशाखा के अंतर्गत भी किया जाता है। 

जंतु भूगोल (Animal Geography) में विभिन्न प्राणियों के स्थानिक वितरण और विशेषताओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। मानव जीवन के सामाजिक ,  आर्थिक, सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में पशुओं और पशु जगत का विशेष महत्व होने के कारण इसको भौगोलिक अध्ययनों में भी विशिष्ट स्थान प्राप्त है। 

    अतः भूगोल का जन्तु विज्ञान से भी घनिष्ट संबंध प्रमाणित होता है।

भूगोल का सामाजिक विज्ञान के विषयों से संबंध

 (Relation between Geography and subjects of Social science):- 

जिस प्रकार भूगोल प्राक्रतिक विज्ञानों अथवा प्राकृतिक विज्ञान के सभी विषयों से सम्बंधित है उसी प्रकार भूगोल का सामाजिक विज्ञान के विषयों से भी गहरा संबंध है। मानव भूगोल की शाखाओं का इतिहास, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र, जनांकिकी आदि सामाजिक विज्ञानों के साथ निकट का संबंध है।  

इसका विवरण निम्नलिखित है–

1. भूगोल और इतिहास का संबंध (Relation between Geography and history) :- 

इतिहास तथा भूगोल का आपस में गहरा संबंध है क्योंकि ये दोनों विषय क्रमशः काल तथा स्थान के अध्ययन से संबंधित हैं। मानव भूगोल मानव सभ्यता के इतिहास तथा मानव समाज के विकास का अध्ययन भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में करता है। 

 हार्टशान के अनुसार, “काल के अनुसार विवरण इतिहास है जबकि स्थान के अनुसार विवरण भूगोल है इतिहास कथानक (narrative) है जबकि भूगोल विवरण (Description) है।” किसी भी क्षेत्र का वर्तमान विकास वहाँ पर अतीत में होने वाले घटनाक्रमों पर निर्भर करता है। अतः इतिहास, भूगोल को एक प्रकार की पृष्ठभूमि प्रदान करता है।

 यूल्ड्रिज तथा ईस्ट के अनुसार, “भूगोलवेत्ता तथा इतिहासकार यह भली-भांति जानते हैं कि उन दोनों के अध्ययन का अन्तसम्बन्ध है और दोनों को एक-दूसरे से ज्ञान लेना पड़ता है।” आगे चलकर वे महानुभाव लिखते हैं कि, “वास्तव में भूगोल, इतिहास से, जिसने इसे बनाया है, अलग नहीं हो सकता।” (Geography is in fact inseparable from history which produced it.) बदले में, “भूगोल वह मंच प्रदान करता है जिस पर इतिहास का नाटक खेला जाता है।” (Geography provides the stage on which drama of history is enacted.)

2. भूगोल और राजनीति विज्ञान का संबंध (Relation between Geography and Political science) :- 

राजनीति विज्ञान के अध्ययन की मुख्य विषय वस्तु किसी देश अथवा संस्था की शासन व्यवस्था का अध्ययन करना। इसके अंतर्गत विभिन्न राष्ट्रों एवं राज्यों की शासन प्रणालियों, प्रशासन , सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों आदि का अध्ययन किया जाता है। 

जिस प्रकार राजनीति विज्ञान के अंतर्गत हम उपरोक्त का अध्ययन करते हैं उसी प्रकार राजनीति भूगोल (जोकि मानव भूगोल की एक शाखा है) में किसी भी संगठित क्षेत्रों की सीमा, विस्तार, उनके विभिन्न घटकों, उप-विभागों, शासित भू-भागों, संसाधनों, आंतरिक तथा विदेशी राजनीतिक संबंधों आदि का अध्ययन किया जाता है।

इस प्रकार हम यह पाते हैं कि भूगोल और राजनीति विज्ञान का आपस मे घनिष्ठ संबंध है। 

3. भूगोल और अर्थशास्त्र का संबंध (Relation between Geography and Economics) :- 

हम जानते हैं कि भूगोल में पृथ्वी के उस भाग का अध्ययन किया जाता है जो मानव के रहने का स्थान है। अगर बात करें मानव की तो मानवों की दैनिक और प्राथमिक आवश्यकताओं में रोटी , कपड़ा और मकान हैं जो हर मानव को चाहिए ही चाहिए। तथा इसके साथ ही मानव या मानव समूह की अन्यान्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि आवश्यकताएं भी होती हैं जो बहुत कुछ अर्थव्यवस्था पर आधारित होती हैं। 

किसी भी व्यक्ति , संस्था अथवा देश आदि की अर्थव्यवस्था (economy) का अध्ययन करना अर्थशास्त्र का मूल विषय है। 

भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा आर्थिक भूगोत है जिसके अर्थशास्त्र के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। अर्थशास्त्र तथा आर्थिक भूगोल की विषय वस्तु में बहुत सी समानताएँ पाई जाती हैं। अर्थशास्त्र मानव की आर्थिक आवश्यकताओं तथा उनकी आपूर्ति के स्रोतों से संबंधित है। 

अतः अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य उत्पादन, वितरण, विनिमय, उपभोग आदि जैसी अर्थव्यवस्था की मूल विशेषताओं का विवेचन करना है। अर्थव्यवस्था की इन विशेषताओं का स्थानिक पक्ष भी होता है जिसका अध्ययन आर्थिक भूगोल करता है।

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4. भूगोल और समाजशास्त्र का संबंध (Relation between Geography and Sociology) :- 

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि समाजशास्त्र में हम मनुष्यों और मानव समाज का , उसके व्यवहार , समाज की आवश्यकताओं , समस्याओं , समाधानों तथा अन्य सामाजिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इस अध्ययन में मानव समाज की उत्पत्ति, उसका विकास, उसकी संरचना तथा सामाजिक संस्थाओं का भी अध्ययन सम्मिलित होता है। साथ ही मानव समाज के विकास, प्रवृत्ति तथा नियमों , सिद्धान्तों आदि की वैज्ञानिक व्याख्या भी समाजशास्त्र करता है। 

हम जानते हैं कि समस्त मानव समाज अनेक वर्गों, समूहों तथा समुदायों में विभक्त है जिसके अपने-अपने रीति-रिवाज, प्रथाएं, परंपराएं तथा नियम कानून , आवश्यकता , उत्पादन , उपभोग आदि होते हैं जिन पर भौगोलिक पर्यावरण का प्रभाव निश्चित रूप से पाया जाता है। यहां तक कि हम यह कह सकते हैं कि मानव की आवश्यकताएं , आपूर्ति , रीति रिवाज आदि उपरोक्त चीजें भौगोलिक परिदृश्यों द्वारा ही निर्धारित होते हैं। 

उदाहरण के तौर पर हम यह कह सकते हैं कि किसी पहाड़ी क्षेत्रों के तथा किसी रेगिस्तानी क्षेत्रों के जनजीवन के लगभग सभी पहलुओं में अंतर होता है। 

अतः समाजशास्त्रीय अध्ययनों में भौगोलिक ज्ञान आवश्यक होता है। इस प्रकार हम यह देखते हैं कि समाजशास्त्र का भूगोल से विशेष संबंध है। 

5. भूगोल और जनांकिकी का संबंध (Relation between Geography and Demography):- 

जनांकिकी या जनसांख्यिकी के अंतर्गत जनसंख्या के आकार, संरचना, विकास आदि का परिमाणात्मक अध्ययन किया जाता है। इस अध्ययन में जनसंख्या संबंधी आंकड़ों के एकत्रण, वर्गीकरण, मूल्यांकन, विश्लेषण तथा प्रक्षेपण के साथ ही जनांकिकीय प्रतिरूपों तथा प्रक्रियाओं की भी व्याख्या की जाती है।

 मानव भूगोल और उसकी उपशाखा जनसंख्या भूगोल में भौगोलिक पर्यावरण के संबंध में जनांकिकीय प्रक्रमों तथा प्रतिरूपों में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार विषय सादृश्य के कारण भूगोल और जनांकिकी में घनिष्ट संबंध पाया जाता है।

6. भूगोल और कला का संबंध (Relation between Geography and Art):- 

भूगोल विषय का कला के साथ गहरा संबंध रहा है। संक्षेप में कहें तो भूगोलवेत्ता को एक अच्छा कलाकार भी होना चाहिए क्योंकि मानचित्रों की रचना में कलात्मक कल्पना अति आवश्यक है खाका (Sketch), मानस (Mental), मानचित्र तथा मानचित्र कला हेतु कला में निपुणता होनी चाहिए।

निष्कर्ष:- 

वस्तुतः देखा जाय तो सभी विषय एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित होते हैं।  इसी प्रकार हम देखते हैं कि भूगोल प्राकृतिक विज्ञान के तथा सामाजिक विज्ञान के लगभग सभी विषयों से संबंधित है। तथा साराँशतः कहें तो भूगोलवेत्ता को उपरोक्त विषयों की भी सामान्य सामान्य जानकारी होनी चाहिए। 

धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़
छात्र:  प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक द्वितीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय

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