असीरिया की सभ्यता | Assyrian civilization in hindi | मेसोपोटामिया की सभ्यता | असीरियन सभ्यता का सम्पूर्ण इतिहास

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दजाला-फरात नदी-घाटी की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ सभ्यताएँ फली-फूलीं और विकसित हुई। दजला- फरात नदियों का उर्वर और अपनी उर्वरता के कारण विभिन्न जातियों के आकर्षण का केन्द्र बना। परिणामस्वरूप यहाँ विभिन्न जातियों के लोग आकर बसे और उनाने अपनी सभ्यता एवं संस्कृति का विकास किया।

असीरिया की सभ्यता (Assyrian civilization in hindi)–

सेमेटिक जाति ने दजला नदी के तट पर अपना आधिपत्य स्थापित कर असुर (अस्सुर) नामक नगर को स्थापना की। इसी नगर के नाम पर इस सभ्यता को असीरिया की सभ्यता के नाम से जाना जाता है। असीरियन साम्राज्य की स्थापना शक्ति के बल पर की गयी थी। फलत: थोड़े समय में हो इस सभ्यता का पतन हो गया असुरबनीपाल असीरिया का सर्वाधिक शक्तिसम्पन्न एवं प्रतिभाशाली शासक था। इसके शासनकाल में असीरियन सभ्यता का गौरव आपने शिखर पर पहुँच गया था।

असीरिया की सभ्यता

असीरिया की सभ्यता का राजनीतिक जीवन:- 

सुमेरिया की सभ्यताबेबिलोनिया की सभ्यता की भाँति असीरियन सभ्यता का भी राजनीतिक जीवन बहुत प्रतिष्ठित रहा। किन्तु जहाँ सुमेरिया व बेबिलोनिया की सभ्यता के निवासी शांतिपूर्ण जीवन जीने में विश्वास रखते थे वहीं असीरिया की सभ्यता के लोग शस्त्रप्रिय, युध्दप्रिय व सैन्य युक्त थे। इसी कारण ये क्रूर भी थे। 

इनके युद्ध प्रिय होने का मूल कारण यह है कि ये मेसोपोटामिया में सुमेर व बेबीलोन नगर के उत्तर में अवस्थित थे जोकि एक पहाड़ी क्षेत्र है तथा यहां कृषि करना सुमेरियन व बेबिलोनियनों की अपेक्षा लगभग कठिन था अतः ये मुख्यतः शिकार व लूटपाट पर ही निर्भर रहते थे। अतः इनका युध्दप्रिय व क्रूर होना स्वाभाविक है। 

राजनीतिक इतिहास:- 

तिगलथ पिलेजर प्रथम असीरियन साम्राज्य का संस्थापक था। 1105 ई० पू० में उसने सीरिया पर आक्रमण कर मिस्र से कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापित किया।

 ◆ उसके बाद 200 वर्षों तक यहाँ का इतिहास अन्धकारमय है। 

◆ 884 ई० पू० को 859 ई० पू० तक असुर नासिरपाल यहाँ का शासक रहा। इस साम्राज्य का पहला महान् शासक ‘सारगन द्वितीय‘ था, जिसने 722 ई० पू० से 705 ई० पू. तक शासन किया। 

◆ उसके बाद सेनाक्रीब जो सारगन द्वितीय का पुत्र था, शासक बना।  इसने 705 से 681 ई० पू०तक शासन किया। 

◆ इन शासकों के काल में साहित्य एवं कला को पर्याप्त संरक्षण प्राप्त हुआ। 

◆669 ई० पू० से 626 ई० पू० तक असुरबानीपाल शासन हुआ। इसका काल स्वर्ण युग था। उसकी मृत्यु के बाद असीरियन साम्राज्य का अन्त हो गया। 

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असीरियन सभ्यता की शासन व्यवस्था कैसी थी? 

   ◆  शासन की केन्द्रीय शक्ति राजा में निहित होती थी। प्रजा राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि मानती थी।

◆  असीरियन साम्राज्य की स्थापना सेना व शक्ति के बल पर हुई थी। 

◆ राजा स्वेच्छाचारी एवं निरंकुश होता था।

◆  शासन के कुशल संचालन के लिए राज्य को इकाइयों में विभक्त किया गया था। प्रत्येक इकाई की देखभाल के लिए सम्राट् द्वारा प्रान्तपति (राज्यपाल) को नियुक्ति की जाती थी। 

◆ राज्यपाल का मुख्य कार्य अपनी इकाई में कर वसूलना, कानून-व्यवस्था बनाये रखना एवं नागरिकों की सुख-सुविधा का ध्यान रखना था।

◆  असीरियन लोगों का सैन्य संगठन दृढ़ था। इनकी सेना अपने सैन्य संचालन एवं संगठन के लिए विश्वविख्यात थी।

◆ असीरिया का दण्ड-विधान अत्यन्त कठोर था। 

◆ अपराधी को कठोर सजा दी जाती थी। असाधारण अपराधों के लिए मृत्युदण्ड दिया जाता था। 

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असीरिया की सभ्यता का सामाजिक जीवन कैसा था ? 

     ◆ असीरिया का समाज बेबीलोन के समाज की भांति मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभक्त था-उच्च वर्ग, मध्य वर्ग और निम्न वर्ग (दास वर्ग)। 

★ उच्च वर्ग में शासक, सामन्त, पुरोहित, राज्य के उच्च अधिकारी आदि आते थे। 

★ मध्य वर्ग व्यापारियों एवं कृषकों का था। 

★ निम्न वर्ग में युद्धबन्दी एवं दास होते थे।

 असीरिया में दासों के साथ क्रूर एवं अमानवीय व्यवहार किया जाता था। 

◆ असीरिया के समाज में स्त्रियों की दशा भी सन्तोषजनक न थी। दहेज-प्रथा, वेश्यावृत्ति आदि कुत्सित प्रथाएँ भी समाज में प्रचलित थी। 

◆ असीरिया के निवासियों का खान-पान, बेश-भूषा एवं मनोरंजन के साधन लगभग बेबीलोनिया के ही समान थे। 

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असीरिया की सभ्यता के आर्थिक जीवन के तथ्य:- 

 ◆  असीरिया के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि था।

◆  कृषि-कार्य के लिए राजकीय सुविधाएँ भी प्रदान की जाती थी। 

◆ असीरियन शासक सेनाक्रीय ने सिंचाई के लिए एक पक्की नहर निर्मित करायी थी। 

◆ असीरियन कृषक गेहूँ, जौ, कपास, जैतून और अंगूर पर्याप्त मात्रा में पैदा करते थे। 

◆ कृषि के साथ-साथ इस सभ्यता के लोग विभिन्न प्रकार के उद्योग-धन्धे भी करते थे। 

◆ उद्योगों को भी राजकीय संरक्षण प्रदान किया जाता था।

◆  असीरियन व्यवसायी बड़े-बड़े समूह (काफिला) बनाकर सुदूर देशों के साथ व्यापार करते थे। 

◆ धनी वर्ग के लोग ब्याज पर ऋण प्रदान किया करते थे।

असीरिया की सभ्यता का धार्मिक जीवन– 

◆ असीरियन निवासियों की धर्म में आस्था थी।

◆  असुर (अस्सुर) उनका प्रमुख देवता था। इश्तर नामक  देवी को असुर देवता की पत्नी माना जाता था।

◆  असीरियन निवासी असुर देवता को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का निर्माता एवं युद्ध के स्वामी के रूप में पूजते थे।

 ◆ ईश्तर युद्ध देवी के रूप में पूजी जाती थी।

 ◆ असीरियन बहुदेववादी थे। यहाँ के लोग शमांश, माईक, नुस्कू व सिन नामक अन्य देवों की उपासना करते थे।

◆ ऐसा संकेत प्राप्त होता है कि असीरिया में लोग जादू-टोना, भूत-प्रेत में विश्वास करते थे। स्वर्गलोक एवं नरकलोक में इनका विश्वास था।

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असीरिया की सभ्यता का साहित्य

◆ असीरियन शासकों की साहित्य में गहरी रुचि थी।

◆  उन्होंने बेबीलोनियन साहित्य को सुरक्षित रखा और साथ ही इतिहास, धर्म व ज्योतिष से सम्बन्धित विभिन्न ग्रन्थों की रचना की।

◆  इस काल के महान् शासक असुरबनीपाल ने साहित्यिक ग्रन्थों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशाल पुस्तकालय का निर्माण कराया।

◆  इस पुस्तकालय में लगभग तीस हजार पुस्तकों (मिट्टी की तख्तियाँ) को संगृहीत कराया।

असीरियन सभ्यता में विज्ञान

◆ असीरिया के वैज्ञानिकों ने बेबीलोन की वैज्ञानिक प्रगति को और अधिक गतिशील बनाया।

 ◆ असीरियन लोगों ने ग्रह, नक्षत्र और तारों का अध्ययन कर फलित ज्योतिष का विकास किया। 

◆ इन्होंने विभिन्न प्रकार की जंगली जड़ी-बूटियों से उपयोगी औषधियों का निर्माण किया।

◆ असीरिया के निवासी लगभग 500 उपयोगी एवं रोग-निवारक ओषधियों का निर्माण करने में सफल हुए। 

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असीरिया सभ्यता की कला

◆ असीरियन सभ्यता में विभिन्न प्रकार की कलाओं का विकास देखने को मिलता है। 

◆ असीरिया के अस्सुर नगर की खुदाई में बहुत-सी मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। साथ में भव्य महलों के ध्वंसावशेष भी प्राप्त हुए हैं।

◆ खुदाई में प्राप्त अवशेष असीरिया की कला की भव्यता एवं उत्कृष्टता का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। 

◆ चित्रकला के क्षेत्र में असीरिया ने पर्याप्त उन्नति की। राजमहलों, मन्दिरों आदि की दीवारों में सजीव चित्रों का अंकन प्राप्त होता है।

◆  सेनाक्रोब के राजमहल में चित्रित घायल शेरनी का चित्र, राजाओं द्वारा सिंह के शिकार का दृश्य आदि असीरिया की विकसित चित्रकला के प्रमाण हैं।

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● वैदिक संस्कृति भाग-1 (ऋग्वैदिक काल)

● वैदिक संस्कृति भाग-2 (उत्तर वैदिक काल)

असीरिया की सभ्यता की देन:- 

◆ असीरिया के लोग किसी स्वतन्त्र सभ्यता व संस्कृति के जनक होने का गौरव प्राप्त न कर सके। 

◆ इन्होंने केवल बेबीलोनिया की संस्कृति को सुरक्षित रखा और सम्पूर्ण मेसोपोटामिया में इसका प्रचार एवं प्रसार किया। 

◆ असीरियन साम्राज्य सैनिक सिद्धान्त पर आधारित था-रक्तपात, हिंसा एवं लूट का सिद्धान्त ही इसकी देन थी

धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलाहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़
छात्र:  प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक द्वितीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय

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